Book Details
Abheepsa (Kavitha Sangrah)–Hindi Translated Poems of K. V. Dominic
Year Of Publish:
के. वी. डोमिनिक
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अनà¥à¤µà¤¾à¤¦
संतोष अलेकà¥â€à¤¸
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आमà¥à¤–
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मेरी तीन अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ कविता संगà¥à¤°à¤¹ “विंगड रीसनâ€(2010), “राइà¥à¤°à¤Ÿ सन राईट†(2011) और “मलà¥â€à¤Ÿà¥€à¤•à¤²à¥â€à¤šà¤°à¥‡à¤² सिंफनीâ€(2014) में चà¥à¤¨à¥€ हà¥à¤ˆ कविताओं का हिंदी अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤¤ करते हà¥à¤ मà¥à¤à¥‡ खà¥à¤¶à¥€ हो रही है. इन कविताओं को हिंदी में पà¥à¤°à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤¤ करने के लिठडॉ संतोष अलेकà¥â€à¤¸ का आà¤à¤¾à¤°à¥€ हूं.
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     मेरे साâ€à¤¥ कविता देरी से हà¥à¤ˆ. 48 साल की उमà¥à¤° में मैं कविताà¤à¤‚ लिखने लगा. कारण यह है कि मेरी जिंदगी में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की परेशानियां नहीं थी. जैसे कि जयंत महापातà¥à¤° ने लिखा “कविता बà¥à¤°à¥‡ दिल से निकलती है à¤à¤• दिल जो वà¥â€à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नेता या हारा हà¥à¤† बनाता है, जहां वà¥â€à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को मूलà¥â€à¤¯ à¤à¤µà¤‚ रवैया चà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठबाधà¥â€à¤¯ करता है.â€
सीमस हीनी, पोà¤à¤Ÿ लोरेट सा मैं खà¥à¤¦à¥€ की कविताओं पर टिपà¥â€à¤ªà¤£à¥€ करना चाहूंगा. à¤à¤• कवि के रूप में मैं खà¥à¤¦ की जमीर के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उतà¥â€à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ हूं और मैं सामाजिक आलोचना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी संवेदना या संदेश को पà¥à¤°à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤¤ करना चाहता हूं. à¤à¤• पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° के रूप में छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿, संपादक के रूप में शोधारà¥à¤¥à¥€ à¤à¤µà¤‚ लेखकों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• कवि के रूप में सारे मानव के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मेरी वचनबदà¥à¤§à¤¤à¤¾ है. अत: मैं कविता में शैली के बदले में सार को महतà¥â€à¤µ देता हूं. राबरà¥à¤Ÿ बà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤¨ सा मैं कविता में विवादासà¥â€à¤ªà¤¦ शैली का उपयोग करता हूं जो पाठकों को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती है.
केरल को गोडस आन कंटà¥à¤°à¥€ कहा जाता है. यहां काफी हरियाली है और यहां की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤‚दरता इसे अनà¥â€à¤¯ राजà¥â€à¤¯à¥‹à¤‚ से अलग करती है और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सà¤à¥€ देशों से सैलानी यहां आते हैं. यहां सब साकà¥à¤·à¤° हैं और जà¥â€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° यà¥à¤µà¤¾ सà¥â€à¤•à¥‚ल कॉलेज जाते हैं.यहां के लोग पशà¥à¤šà¤¿à¤® से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हैं और उनका नकल करते हैं. यहां धरà¥à¤® हर जगह हावी है. यहां के लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान नहीं बलà¥à¤•à¤¿ आतà¥â€à¤®à¤¾ मायने रखता है.
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जà¥â€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग गरीब है और à¤à¤• वकà¥â€à¤¤ की रोटी से वंचित है. इनका दैनिक आय à¤à¤• डालर से कम है. धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेता यह सिखाते हैं कि गरीबों को आहार देने की जिमà¥â€à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ धरà¥à¤® का नहीं सरकार का है. धरà¥à¤® का काम पà¥â€à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ आतà¥â€à¤®à¤¾à¤“ं को बचाना है. ये धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेता इस बात पर गौर नहीं करते कि तंदà¥à¤°à¥‚सà¥â€à¤¥ शरीर में ही आतà¥â€à¤®à¤¾ बसती है. धरà¥à¤® के सहयोग से गरीबी मिटाई जा सकती है. धरà¥à¤® लोगों के मन में घृणा के बदले दया का à¤à¤¾à¤µ पैदा करें.
मेरी कविताओं का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सार पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, मनà¥à¤·à¥â€à¤¯ और ईशà¥â€à¤µà¤° है. मेरे लिठयह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ बड़ा कंसरà¥à¤Ÿ या सिंफनी है. सारी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ अपनी à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं. मेरे लिठविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और धरà¥à¤® à¤à¤• सिकà¥â€à¤•à¥‡ के दो पहलू हैं. मनà¥à¤·à¥â€à¤¯ सबसे अंतिम खोज है. उसे दूसरे को à¤à¤µà¤‚ जीव जंतà¥à¤“ं का समà¥â€à¤®à¤¾à¤¨ करना चाहिà¤. मनà¥à¤·à¥â€à¤¯ अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को सकारातà¥â€à¤®à¤• कामों के बजाय नकारातà¥â€à¤®à¤• कामों के लिठउपयोग करता है. यह विडंबना की बात है कि मनà¥à¤·à¥â€à¤¯ जितना बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ और पढा लिखा होता है उतना ही कà¥à¤°à¥‚र और कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² होता है. हालांकि इसाई के रूप में मेरा बपतिसà¥â€à¤®à¤¾ हà¥à¤†, मैं आखिरकार à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ हूं और अधà¥â€à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤µà¤‚ कवि के नाते मेरा करà¥à¤¤à¤µà¥â€à¤¯ है कि मैं अपने छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ देशवासियों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मूलà¥â€à¤¯à¥‹à¤‚ की सीख दूं. मैं जीवातà¥â€à¤®à¤¾ और परमातà¥â€à¤®à¤¾ में विशà¥â€à¤µà¤¾à¤¸ करता हूं और अहं बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤¸à¥â€à¤®à¤¿ में à¤à¥€ विशà¥â€à¤µà¤¾à¤¸ करता हूं. मà¥à¤à¥‡ अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ दà¥à¤µà¥ˆà¤¤ से à¤à¥€ सà¥â€à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ है. इसलिठमैं मनà¥à¤·à¥â€à¤¯, ईशà¥â€à¤µà¤° और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤µà¤¾à¤°à¤¾ घनिषà¥â€à¤ संबंध पाता हूं.
      मनà¥à¤·à¥â€à¤¯ को दूसरों को मारने à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को नषà¥â€à¤Ÿ करने का अधिकार नहीं है. लोग आज à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं के पीछे दौड़ रहे हैं और उनमें जो पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ थी वह नषà¥â€à¤Ÿ हो रही है. दूसरे सहजीवियों को पà¥â€à¤¯à¤¾à¤° करने के बजाय वह उनका शोषण करता है. धारà¥à¤®à¤¿à¤•, राजनेताओं का काम है कि वे लोगों में खो चà¥à¤•à¥‡ मूलà¥â€à¤¯à¥‹à¤‚ को लौटाà¤. इसके बजाय जà¥â€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° नेता माफिया बन गठहैं और लोगों में घृणा à¤à¤¾à¤µ पैदा करते हैं. नेता à¤à¥à¤°à¤·à¥â€à¤Ÿ हैं.
मेरी लेखन का उददेशà¥â€à¤¯ à¤à¥à¤°à¤·à¥â€à¤Ÿ समाज को राह दिखाना है, खासकर यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ को. आज के यà¥à¤µà¤• गलत राह पर चल रहे हैं. उनको सही मारà¥à¤— दिखाने के लिठन कोई मसीहा है या रोल मोडल.
इस किताब में इकतीस कविताà¤à¤‚ हैं. पहली कविता मोहमà¥â€à¤®à¤¦ राफी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि है. वे मेरे बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है और कॉलेज के दिनों से ही मैं उनà¥â€à¤¹à¥‡à¤‚ चाहता था . मेरी राय में कोई उसका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥â€à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ नहीं कर सकता. “राहà¥à¤² की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾â€ में बचà¥â€à¤šà¥‹à¤‚ पर होनेवाले अतà¥â€à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° का विवरण है. ईशà¥â€à¤µà¤° के म पर धरà¥à¤® के नाम पर होनेवाली बातों का जिकà¥à¤° है. “ओम“ कविता में ओम जो दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सबसे पहली आवाज थी, उस पर चरà¥à¤šà¤¾ है. “जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤°â€œ में जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤° के बहाने लोगों को ठगने की बात उठाई है. “à¤à¤¾à¤°à¤¤ न 1†में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विकास पर करारा वà¥â€à¤¯à¤‚गय है. â€à¤®à¥ˆà¤‚ केवल आम का पेड हूं“ में पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पकà¥à¤· में बातें कही गई है. “काश मैं वापस लौटता“ अंतिम कविता है जहां से पà¥à¤¨: बीते पलों को जीने की इचà¥â€à¤›à¤¾ करता हूं.
मैं आरà¥à¤¥à¤¸ पà¥à¤°à¤¸ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤•,शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ केचेरी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आà¤à¤¾à¤°à¥€ हूं जिनà¥â€à¤¹à¥‹à¤‚ने यह कावà¥â€à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ हिंदी में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करने का बीड़ा उठाया है.
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अनà¥à¤•à¥à¤°à¤®
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- मोहमà¥â€à¤®à¤¦ राफी को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि
- फूलों का दूकान
- राहà¥à¤² की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾
- सà¥à¤– दà¥:ख
- ईशà¥â€à¤µà¤° के नाम पर
- मेरे बचà¥â€à¤šà¥‡ का रूदन
- किशोरावसà¥â€à¤¥à¤¾
- à¤à¤• आनंदमय यातà¥à¤°à¤¾
- ओम
- अमà¥à¤®à¤¿à¤¨à¥€ की मृतà¥â€à¤¯à¥
- कैसा जनà¥â€à¤®
- वृंदा
- सूरà¥à¤¯à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£
- जनà¥â€à¤®à¤•à¥à¤‚डली
- संरकà¥à¤·à¤£
- हाथी सनक
- à¤à¤¾à¤°à¤¤ नं 1
- जात के पागल
- अधूरे सपने
- मेरे गà¥à¤¸à¤²à¤–ाने में मकड़ी
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- मैं कौन हूं
- विशà¥â€à¤µà¤šà¥ˆà¤‚पियन के आंसू
- बीच बà¥â€à¤¯à¥‚टिशियन
- बेटा लिखो
- कौआ काली सौंदरà¥à¤¯
- संकलà¥â€à¤ª
- à¤à¤• निरà¥à¤à¤¿à¤• कोशिश
- मैं केवल आम का पेड़ हूं
- मजदूर
- à¤à¥‚खे
- काश मैं लौट पाता
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मोहमà¥â€à¤®à¤¦ राफी को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि
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तीस साल पहले
मोहमà¥â€à¤®à¤¦ राफी सà¥â€à¤µà¤°à¥à¤— पहà¥à¤‚चे
पीड़ा से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ लोगों को
सांतà¥â€à¤µà¤¨à¤¾ देने
ईशà¥â€à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥‡à¤œà¥‡ गठसंगीत का गंधरà¥à¤µ
सरल सौमà¥â€à¤¯ व शालीन
सरसà¥â€à¤µà¤¤à¥€ का अनà¥à¤—ृह था उन पर
रियाज की घंटों
जब उनà¥â€à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤° लगाया
ओ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के रखवाले
सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ने उसे सलाम किया
मारà¥à¤¨à¤¿à¤‚ग वालà¥â€à¤• पर जाने पर
वह मेरे संग चलते
लता जी के साथ उनके गाà¤
गानों का कà¥â€à¤¯à¤¾ कहना
नशà¥â€à¤µà¤°à¤¤à¤¾, तà¥à¤®à¥â€à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ नाम मोहमà¥â€à¤®à¤¦ राफी है
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फूलों का दूकान
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मैंने दरवाजा खोला
गà¥à¤²à¤¾à¤¬ ने मà¥à¤¸à¥â€à¤•à¥à¤°à¤¾à¤•à¤° कहा
सर सà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤
मैंने मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¾
दरवाजा बंद की
ताला लगाया
और बाहर निकला
पतà¥â€à¤¤à¥‹à¤‚ ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा
यातà¥à¤°à¤¾ की मंगलकामनाà¤à¤‚
लिलि फूलों ने कहा
सà¥â€à¤µà¤¾à¤¸à¥â€à¤¥à¥â€à¤¯ ठीक रहे
मैंने सà¤à¥€ को धनà¥â€à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ कर
कॉलेज गया
शाम को लौटते वकà¥â€à¤¤
बेकरी में रूका
मिठाई खरीदने
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बगल में
फूलों की दूकान थी
हारों में सजाà¤
गà¥à¤²à¤¾à¤¬, लिलि
मà¥à¤°à¤à¤¾ गठथे
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मैंने उनको
बà¥à¤¦à¤¬à¥à¤¦à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ सà¥à¤¨à¤¾
अचà¥â€à¤›à¥€ मृतà¥â€à¤¯à¥ के
लिठशà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚
मैं चौंक गया
यह मेरे लिठही नही
आते जाते सà¤à¥€ के लिठथा
मैंने खà¥à¤¦ को तसलà¥â€à¤²à¥€ दी
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राहà¥à¤² की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾
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राहà¥à¤² कलास से बाहर निकलो
अधà¥â€à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ने कहा
राहà¥à¤² रो पड़ा
बाहर खड़ा रहा कà¥â€à¤²à¤¾à¤¸ के
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उसने गृहकारà¥à¤¯ पूरा नहीं किया
आखिर गलती
किसकी थी
शराबी पिता
पीटता है मां को
राहà¥à¤² को
खाने के थाली को
लात मारता है
रात à¤à¤° वह सोया नहीं
कà¥à¤°à¥‚र पिता
कà¥à¤°à¥‚र अधà¥â€à¤¯à¤¾à¤ªà¤•
कà¥à¤°à¥à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾
बेचारा राहà¥à¤²
चाहता है पà¥â€à¤¯à¤¾à¤°
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सà¥à¤– दà¥:ख
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सà¥à¤– व दà¥:ख
सिकà¥â€à¤•à¥‡ के दो à¤à¤¾à¤— हैं
हम इसे
सà¥à¤¬à¤¹ उछालते हैं
जà¥â€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोगों का
निरà¥à¤£à¤¯ गलत निकलता है
खà¥à¤¶à¥€ यदा कदा आती है
दà¥:खमहामारी है
और लंबे समय तक रहता है
खà¥à¤¶à¥€ धà¥à¤‚ध है
दà¥:खहिम सा गिरती है
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